चलो अब सीधी बात करते हैं — आमिर ख़ान, जिसे बॉलीवुड का “मिस्टर परफेक्शनिस्ट” कहा जाता है, असल में एक खुद को महान समझने वालाढोंगी है, जो अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकता है — झूठ बोलना, भावनात्मक खेल खेलना, और मासूम दर्शकों को मूर्ख बनाना।
हाल ही में मुंबई में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में आमिर ने खुद स्वीकार किया कि उसने अपने फैन्स से झूठ बोला। उसकी फिल्म सितारे ज़मीन पर के थिएटररिलीज से पहले वो डंके की चोट पर कह रहे थे कि फिल्म केवल सिनेमाघरों में रिलीज होगी, और यूट्यूब पर लाने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन अबअचानक ऐलान कर रहा है कि 1 अगस्त से वही फिल्म यूट्यूब पर 100 रुपये किराये पर मिलेगी। और बहाना क्या है? "अगर पहले बता देता तोथिएटर का बिज़नेस खराब हो जाता।"
वाह रे ईमानदारी! मतलब पहले जनता को बेवकूफ़ बनाओ, पैसे लूटो, फिर डिजिटल पर बेचो और झूठ का एक घटिया सा बहाना पेश कर दो। येकोई परफेक्शनिस्ट नहीं, ये तो सिर्फ एक चालाक व्यापारी है, जो जनता की भावनाओं से खेल रहा है। और बात यहीं खत्म नहीं होती — सितारेज़मीन पर के प्रमोशन के लिए जो PR नौटंकी की गई, वो और भी शर्मनाक है। बच्चों को IPS की यूनिफॉर्म पहनाकर, जिनमें मानसिक रूप सेविकलांग बच्चे भी शामिल थे, प्रेस के सामने खड़ा करना क्या "जागरूकता" है या फिर सस्ते इमोशनल ड्रामे की साजिश? आमिर और उसकी टीम नेउन बच्चों को इंसान नहीं, बल्कि ट्रॉफी समझा, ताकि सोशल मीडिया पर सहानुभूति मिले और फिल्म की मार्केटिंग मुफ्त में हो जाए। घिन आती हैऐसी सोच पर।
और अब चलो उस जले पर नमक भी छिड़क दें — 2015 का "भारत असुरक्षित है" बयान। आमिर ने कहा था कि उसकी पत्नी को भारत में डर लगताहै, कि यहां असहिष्णुता बढ़ रही है। उसी भारत से उसने नाम, पैसा, शोहरत, सब कुछ कमाया। और जब उसके बयान पर बवाल मचा, तो धीरे-धीरेबैकफुट पर आ गया। लेकिन सच्चाई ये है कि आज भी लोग उसे उस बयान के लिए माफ नहीं कर पाए हैं। जब फ़ायदा होता है तो देशभक्ति कीबातें, जब नुकसान होता है तो देश को बदनाम कर देना — इससे बड़ा पाखंड और क्या होगा?
आमिर ख़ान अब किसी नैतिकता का प्रतीक नहीं है। वो एक व्यापारी है, जो भावनाओं का सौदा करता है, जो खुद को महान दिखाने के लिए दूसरों कोमोहरा बनाता है। उसका हर "सामाजिक संदेश" एक स्क्रिप्टेड एक्ट है, और अब वो स्क्रिप्ट भी बासी हो चुकी है।
ये जो "परफेक्शनिस्ट" कहलाता है, वो शायद धोखा देने में परफेक्ट है। परदे पर नहीं, अब असल ज़िंदगी में उसका असली चेहरा सबके सामने आचुका है — और वो बिल्कुल भी खूबसूरत नहीं है। अब जनता को बेवकूफ़ बनाना इतना आसान नहीं रहा, आमिर। नकली नैतिकता का शो खत्म होचुका है।